बालविवाह - Child Marriage

छोटी सी उमर, नाजुक से कन्धे
उड़ती गगन में जैसे आजाद परिंदे
खिलती महकती नाजुक सी कली
उड़ती इठलाती वो प्यारी सी परी

पैरों में पायल होठों पर मुस्कान
आँखों में चमक लिए वो नन्हीं शैतान
ख्वाबों के पंख उठाये वो उड़ती जाती
मैं बाबुल की चिड़िया बस ये बतलाती

पर न जाने क्यों वो गुमसुम सी हो गयी
चुप होकर वो अपना बचपन कहीं खो गयी
जो इस आंगन से उस आंगन फुदकती रहती थी
हमेशा वो चिड़ियों सी चहकती रहती थी
आज बेड़ियों में जकड़ी सी खामोश हो गयी
मानवता जो फिर शर्मसार हो गयी

जिन हाथों में कलम लिए वो पढ़ती थी
आज उनमें मेहंदी लगाए खुद से लड़ती है
गुड़ियों से सजे हाथों में आज चूड़ियां भर गयी
सुहाग के जोड़े में एक नन्हीं कली दब गयी

नन्हें कन्धों पर किताबें लिए फिरती थी
आज जिम्मेदारियों में वो घुटती है
जिन पैरों में पायल खनकती रहती थी
आज रंगीन बेड़ियाँ उसमें चमकती हैं

क्यों प्रथा के नाम पर जिंदगी छीनते हो
क्यों बच्चों के चेहरे से हँसी छीनते हो
बंद कर दो ये बाल विवाह की कुप्रथा
कुछ तो सोचो उन मासूमों की व्यथा।।

Ankita Maurya Ji




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