बेरोजगारी - Unemployment

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 बेरोजगारी देश का बन गया सबसे बड़ा सवाल

जिसका किसी भी सरकार के पास नहीं कोई जवाब

बेरोजगारी का दर्द आप तब तक नहीं समझ सकते

जब तक इस तकलीफ से खुद नहीं गुजरते


हाथों में बड़ी-बड़ी डिग्री की फाइल लिए

सुबह से शाम तक नौकरी की तलाश में भटकते हुए

हर सुबह एक उम्मीद के साथ निकलते हैं

और शाम मायूसी का लिबास ओढ़े लौटते हैं


शाम को बूढ़ी मां बाप की आशा से ताकती निगाहें

सिर्फ एक बात पूछती क्या पढ़ना लिखना बेकार गया

क्या शिक्षा का महत्व सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया

हर रोज यहां अनेकों युवाओं की आशाएं मिटती हैं

तब सिर्फ उम्मीद ही नही देश की तरक्की भी मरती है


आखिर क्यों है ये बेरोजगारी क्या ये नाकारापन है 

या है उस युवा की वर्षों के मेहनत का कड़वा फल 

जो दिन रात किताबो में घुसकर अर्जित किया था उसने


नहीं, ये देश का दुर्भाग्य, गिरती अर्थव्यवस्था का परिणाम है

और वर्षों से निरन्तर चली आ रही राजनेताओं की साजिश

शिक्षानीति में कमी और आयोग में होती है धांधली

यहां नौकरी पढ़ाई के दम पर नहीं नोटों के दम पर मिलती है

तभी तो भ्र्ष्टाचार और घूसखोरी यहाँ निरतंर फैलती है


दुख होता है जब एक शिक्षित सड़कों पर भटकता है

अपना पेट पालने के लिए नुक्कड़ पर सामान बेचता है

हर रोज अखबारों में नौकरी का इश्तेहार ढूंढता है

इस गली से इस गली में काम के लिए घूमता है

ये जो बेरोजगारी नामक बीमारी देश में दशकों से फैल रही है

धीरे धीरे हमारी देश की नींव को अंदर ही अंदर खोखला कर रही है।।


Ankita Maurya Ji



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